1. केसीसी के तहत दिया जाने वाला ऋण कैश क्रेडिट लिमिट (सीसी लिमिट ) के रूप में होता है। इस सुविधा के तहत जरूरत के अनुसार प्रदत्त ऋण सीमा के अंदर पैसे की निकासी की जा सकती है। ऋण अदायगी की समय सीमा संबंधित बैंक शाखा के द्वारा ऋण मंजूरी के शर्तों के आधीन होगी। सामान्यतः ऋण अदायगी की समयावली किसान के द्वारा अपनायी गई गतिविधि के उत्पादन चक्र / नगद आय की निरंतरता पर निर्भर करता है।
2. केसीसी के तहत 3 लाख तक का ऋण 7% की ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाता है। ब्याज खाते में मार्च व सितम्बर माह में लगाया जाता है। फसल कटाई के उपरान्त ऋण की अदायगी करने पर भारत सरकार के द्वारा 3% का ब्याज अनुदान भी दिया जाता है।
3. केसीसी की ऋण सीमा किसान के कुल जमीन , उत्पादन किये जाने वाले फसल एवं जिला स्तर तकनीकी समिति द्वारा प्रत्येक फसल/गतिविधी के लिए पास किये गए वित्तमान पर निर्भर करती है। केसीसी की लिमिट 5 वर्षों के लिए निर्धारित कि जाती है। खाते में समय पर भुगतान करने पर, प्रतिवर्ष 10% केसीसी की लिमिट आगामी 5 वर्षों तक बढ़ाये जाने का प्राविधान है।
4 . वर्ष 2019 से भारत सरकार ने फसलों के साथ - साथ पशुपालन एवं मत्स्य पालन के लिए भी केसीसी दिए जाने की व्यवस्था की है। पशुपालन एवं मत्स्य पालन के लिए केसीसी केवल चालू खर्चों (वर्किंग कैपिटल) के लिए होगी। इस योजना के तहत चारे, विशेष दाने (स्पेशल फीड), पशु चिकित्षा सेवाएं, मजदूर खर्च, बिजली इत्यादि के लिए ऋण सीमा मंजूर की जायेगी।
5. केसीसी के तहत आहरण राशि(ड्राइंग पावर) की सीमा बैंक शाखा द्वारा किसान के खर्चे एवं अपनाये गए गतिविधि के तहत होने वाली आमदनी के आधार पर तय की जायेगी।
6. एक से ज्यादा प्रकार(केसीसी फसल/पशुपालन/मत्स्यपालन) की केसीसी की सुविधा लेने पर, 3 लाख तक 7% ब्याज दर की सुविधा के लिए तीनों केसीसी की संयुक्त लिमिट ली जायेगी।
7. पशुपालन व मत्स्यपालन के लिए केसीसी पर अधिकतम 2 लाख रूपये तक ही ब्याज अनुदान मान्य है।